Friday, February 8, 2008

ZEENAT....ek dost jaisi behen,ek behen jaisi dost

Gentle ladies and gentlemen.....here i present u a personality,which is so incredibly simple as if just it be of just another person,yet so much unique in many many respects....its been my pleasure to have Zeenat as my friend,in fact a really special friend...she often expressed her desire that i write something on her,but,honestly it was more of her personna than her request that inspired me to pen down my thoughts about her,one fine evening and here i attempt to share my feelings with as many as i can:

this is to you Zeenat.....aadab arz hai :)


हमारे दोस्तों के समूह की ज़ीनत है वो,
हर खुशनुमा एहसास की ज़रूरत है वो,
शब्दों की उड़ान से कैसे तय करूँ मैं ऊँचाई उसकी
जो हर अच्छाई से अच्छी है,
खूबसूरती से खूबसूरत है वो

एक नेक और पाक साफ़ दिल
सीने में छिपाये रहती है,
मुस्कुराहट की एक शाश्वत रोशनी
अपने चहरे पे बिखराये रहती है
थोड़ी मासूम,ज़रा समझदार भी है,
अभिलाषाओं के प्रति सजगता है
तो मस्ती और बेफ़िक्री से प्यार भी है,
इसका जज़्बाती पक्ष बेहद मज़बूत है,
इसकी अमर अक्षय दोस्ती
इस बात का पुख्ता सबूत है,
जितनी बार मेरा नाम लिया होगा इसने
उतनी बार किसी बहाने से चिढ़ाया है,
पर ये तो हक़ीक़त है की
दिल कभी भी नही दुखाया है,
और है सबसे अहम ये बात की
इसने हर मुश्किल में मेरा साथ निभाया है....


कुछ और बातें इसके बारे में....

सूट में बड़ी प्यारी लगती है,
लैब में क्या आज्ञाकारी लगती है,
इम्तहान में इसके अंक माशाल्लाह
पढ़ाई के प्रति कोई अटूट वफ़ादारी लगती है,
सलाम करे आ माशाल्लाह कहे तो
उस अंदाज़ में बड़ी दुलारी लगती है,
दूसरो की टाँग खींचने की
इसकी अदा के क्या कहने
इस क्षेत्र में हमेशा इसकी तैयारी लगती है,
सार है बस इतना दोस्तो...
मासूम गम्भीरता की एक मूरत ज़ीनत हमारी लगती है

हाँ ज़ीनत हमारी लगती है....