Monday, April 6, 2009

थोड़ा सा शायराना हो जाये

1. आस्माँ पे उग आते इस सूरज को देखके लगता है,
कभी आये यूँ ही कोई मेरी भी ज़िंदगी में नया सवेरा लेकर !!



2. दीवानगी की एक हद ये की लैब में
तेरे चहरे को डेस्कटौप वॉलपेपर बना लिया,
और एक दीवनगी का आलम ये भी,
कि जो भी वॉलपेपर लगाया,
टेरा ही चेहरा नज़र आया !!

3. तेरे ख्वाबों का तोहफ़ा ही देने आयी हो जैसे,

आज नींद भी आयी कुछ ऐसे तकल्लुफ़ से...

4. आज लिखना चाहता हूँ तुझपे,

पर लिख नही पाता कुछ,

कोई मिसाल ही नही दे पाता,

कोई कहता है तुम हज़ारों में एक हो,

कोई कहे है,लाखों में एक हो...

मैं क्या कहूँ, मुझे तो लगता है...

तुम बस एक हो!!

5. अल्जेबरा के इस जोड़ घटाव में जब तेरा ख्याल आया,

तो लगा,तू मेरी ज़िंदगी से जुड़ जाये बस,सारे गम घट जायेंगे ...

6. काला लिबास है या काला जादू कोई,

जो तुमपे लिपटा हुआ,मुझपे छाया हुआ है !

7. तेरे पास आने से डरता हूँ,

कि एक झटके से झकझोर न दे तू मुझको,

पर जानता हूँ,कि छू लूँ तो

तेरा एहसास बह जायेगा मुझमे..

हाँ बिजली ही तो हो तुम !! (composed when sb asked me 2 write a sher on 'electricity' )

8 कल चांद मुझसे बोला,

तू भी मेरे साथ रह सकता है,

अब तो तुझे भी आदत पड़ने लगी है,

अंधेरे में रहने की...

9. बादल की ऊँचाई देखकर क्यों जलते हो

वो तो टपकेगा एक रोज़, बूँद बूँद बनकर ....

10. फ़िर तेरा ज़िक्र आया,फ़िर तेरी कमी महसूस हुई,

आज फ़िर तड़प उठा इस बात पे दिल,

कि क्यों तेरा ज़िंदगी में लौट आना मुमकिन नही,

मेरे बचपन,कहाँ खो गये तुम??

11. फ़िर आज चांद बना रह है शक्ले अजीब सी,

फ़िर आज किसी की खूबसूरती मेरे

डरने की वजह बन गयी है...