Wednesday, January 23, 2008

सोने की अपनी नाँव है,चाँदी का बाकी पानी है

सोने की अपनी नाँव है
चाँदी का बाकी पानी है,
तमाम खुशी से बेहतर
अपने गम की कहानी है...

रह गया हूँ ज़माने से दूर क्योंकि
इसकी चाल धीमी है
अपनी रफ़्तार तूफ़ानी है...

कैसे अलग हूँ उन लोगों से
जिनसे आज मैं हार गया
अपनी आदत सच्चाई है,उनकी फ़ितरत बे ईमानी है...

मेरे लिये तो ऎ यारों
बाद में आता है कोई मुकाम जीतना
सब्से पहले दिल जीतना,और दोस्ती निभानी है...

आँसू की बूँद ना कहो इसे तुम
पराया दर्द महसूस करने का जज़्बा है
मेरी आँखों में ठहरा हुआ जो पानी है...

ऐश और अय्याशी में खोयी नही है
जज़्बातों के आँगन में सँवरी है
तुम ही कहो किसकी बेहतर जवानी है...

क्या परखेगा ज़माना मेरे हौसले को
अब तो मुझे इस तमाम
ज़माने की हिम्मत आज़मानी है...

इन मामूली मुश्किलातों से भला कैसे
गिर जायेंगे ये कंधे मेरे
जिनको इस जहाँ की ज़िम्मेदारी उठानी है...

औरों को हरायेंगे एक रोज़
मगर जीत के मायनो को समझना है पहले
और खुद से जीतने की आदत बनानी है...

this is second post in succession which has been inspired by few words uttered by my friend Gauri(from gzb remember??)....well i havent been writing much lately as not much has been able to inspire me to that degree,but Gauri's words have such a significance for me that i always try and make sense out of his attempts at poetry(and good sense).....hope this process continues....as am really enjoying it and feel kinda sweet about this whole thing at times....thanks again Gaurav!!

13 comments:

जेपी नारायण said...

क्या परखेगा ज़माना मेरे हौसले को
अब तो मुझे इस तमाम
ज़माने की हिम्मत आज़मानी है...
वाह, क्या खूब। बहुत अच्छा लिखा है आपने।

Sajal Ehsaas said...

shukriya jii....

ghughutibasuti said...

बहुत बढ़िया !
घुघूती बासूती

Sajal Ehsaas said...

bahut shukriya jii....aap logo ko meri koshish pasand aayi bahut khsuhi huyii mujhe

PD said...

जियो गुरू...
तुम तो छा गये..
क्या लिखे हो..
जे.पी. जी और घुघुती जी तक को कमेंट करने पर मजबूर कर दिया..
बहुत बढिया.. लगे रहो सजल भाई.. :)

Ragini said...

आँसू की बूँद ना कहो इसे तुम
पराया दर्द महसूस करने का जज़्बा है
मेरी आँखों में ठहरा हुआ जो पानी है...

u r awsm dear !!!

Sajal Ehsaas said...

shukriya prashant bhaiyaa....mujhe bhi bahut khushi ho rahi hai ki aise log meri koshisho ko pasand kar raeh hai

thanks a lot Nivedita....great to have a comment from u

vivek'sbreak said...

kya khoob likha hai yaar sajal
bahut khoob sameta hai har pal....

u rockkkk

Sajal Ehsaas said...

thanks mate....m overwhelmed...and encouraged like never before

Kavya!! said...

ऐश और अय्याशी में खोयी नही है
जज़्बातों के आँगन में सँवरी है
तुम ही कहो किसकी बेहतर जवानी है...

क्या परखेगा ज़माना मेरे हौसले को
अब तो मुझे इस तमाम
ज़माने की हिम्मत आज़मानी है...
in lines ne mujhe poore poem me sabse jyada thrill kiya!!sahi kaha hai tumne-tumharo jazbaaton se rubroo huyi hoon main isliye samajh sakti hun how true is dat sentence to urself....beshaq tumhari jawaani meri wali se behtar hai:P
gud work infact a very gud work...again was motivated to comment u on this...:)

Sajal Ehsaas said...

thanks kavya....chaliye aapko realise houaa ki kiska youth behtar tareeke se invest ho raha hai :P....thanks for encouraging me...hope to live upto ur expectations always

Anonymous said...

mast yaar mast....likhe ho...
continue d grt work....best of luck 4m my side everytime.

u r rocking wid ur kavita.

Sajal Ehsaas said...

shukriya azhar bhaai(urf mr.455)....aap log hi meraa hauslaa ho