Sunday, June 6, 2010

कभी माँग कर देखो आसमान मुझसे...

Dedicated to someone special :)

कभी माँग कर देखो आसमान मुझसे,
तोहफ़े मे पाओगे ख्वाबों की उढ़ान मुझसे,
तेरे आँखों की चांदनी मे अपना आशियाँ बना लूँगा,
जो चाहोगे उस चांद पर बनवाना एक मकान मुझसे।

जो माँगना है तो माँग लो आज तमाम सितारे,
कि मेरे होंठो से तेरे होंठो पे बिखर जायेंगे सारे,
और जो चाहो,तो परी,अप्सरा,या रानी बना दूँ,
मेरे दिल की सल्तनत तुम्हारी है,
जब कहो,महारानी बना दूँ !!

हसरत हो तो एक कविता भर से बना दूँ
तुमको इस जहाँ भर मे सबसे खूबसूरत,
बस ज़रा कहो तो क्या है तुम्हारी ज़रूरत!!

कि हवा का रूख बदलना कौन सा मुश्किल है,
की साँसों को साँसों से टकराने तो दो,और ज़मीं पे स्वर्ग का उतरना है मुमकिन,
कि हमे ज़रा अपने करीब आने तो दो!!

ये साँस तुम्हारी अमानत है,तुमको सौंप दूँगा,
अगर मेरी जान माँग लो मेरी जान मुझसे,
कभी माँग कर देखो आसमान मुझसे .....

14 comments:

Vandana Singh said...

हसरत हो तो एक कविता भर से बना दूँ
तुमको इस जहाँ भर मे सबसे खूबसूरत,
बस ज़रा कहो तो क्या है तुम्हारी ज़रूरत!!

bahut badhiyaa ....

Saumya said...

कभी माँग कर देखो आसमान मुझसे,
तोहफ़े मे पाओगे ख्वाबों की उढ़ान मुझसे,
तेरे आँखों की चांदनी मे अपना आशियाँ बना लूँगा,
जो चाहोगे उस चांद पर बनवाना एक मकान मुझसे।...superb lines...
nicely put!

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

PUTTAR TERI UMAR KINNI HAI?
VADHIYA LIKHYA HAI!
THAT TOO FOR SOMEONE SPECIAL.....
GOOD LUCK!!!

प्रिया said...

Hi sajal bahut dino baad aapka comment apne blog par pakar khushi hui ....kaise hain aap ?

कभी माँग कर देखो आसमान मुझसे,
तोहफ़े मे पाओगे ख्वाबों की उढ़ान मुझसे,
तेरे आँखों की चांदनी मे अपना आशियाँ बना लूँगा,
जो चाहोगे उस चांद पर बनवाना एक मकान मुझसे।

Wow beautiful.....kavita ke style mein bhi change hai

Sajal Ehsaas said...

thanks everyone...
Ashishji...22 saaal umar hai :D

Priya Mam...me ekdum fine...ye kavita aise smay likhi gayi hai jab out of touch they poetry se,and was composed in a few minutes,dil se likhi thi isliye may be achhi ho gayi

VIVEK VK JAIN said...

कभी माँग कर देखो आसमान मुझसे,
तोहफ़े मे पाओगे ख्वाबों की उढ़ान मुझसे,
तेरे आँखों की चांदनी मे अपना आशियाँ बना लूँगा,
जो चाहोगे उस चांद पर बनवाना एक मकान मुझसे।
b'ful poem......superb.

संजय भास्‍कर said...

बहुत पसन्द आया
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

स्वप्न मञ्जूषा said...

sundar kavita..

इस्मत ज़ैदी said...

बढिया प्रस्तुति!

आप ने ख़ुलूस का मतलब पूछा था
सच्ची दोस्ती ,सद्व्यवहार

Parul kanani said...

ultimate..! :)

ashish said...

dil se nikli hai dil tak paunchti hai..excellent work sajal..

Pushpendra Singh "Pushp" said...

accha likha
badhai

Anon said...

You write well!

Mitul said...

Beautiful imagination Sajal... thanks for sharing... :)