एक रोज़ एक शायर महाशय गुज़र गये,जैसे बाकी सब मरते है कुछ कुछ वैसे ही..हमेशा तन्हाई में रहने वाले देवदासनुमा आदमी थे,अपनी शायरी की दौलत किसी के साथ बाँटी नही थी। दौलत तो पीछे छूट गयी,जैसे बाकी छूट जाती है कुछ वैसे ही...
उनके सपूत का नाम भोला था,नाम का भोला और काम का भी भोला।और एक खास बात, जनाब को शायरी की कोई समझ नही थी। पर पिताजी की "दौलत" जब इनके हाथा लगी तो उसे लोगो के बीच सुना सुनाके बहुत तारीफ़ बटोरी इन्होने।
जल्दी ही सबको पता था की भोला शायर है,और खास अवसरो पे उसे शेर सुनाने ज़रूर बुलाया जाता था.और वो जो सही समझता,उस कविता य गज़ल को लेके चल जाता...और कर देता अर्ज़।
एक बार शादी के मौके परः
ताउम्र याद रहेंगे फ़ेरे सात वो,
कुछ ऐसा कर गये मेरे साथ वो,
इसी तरह की रात थी,
जब एक घर पहुँची अपनी बारात थी,
रस्म-रिवाज हमने निभायी थी,
और मुसीबत गले से लगायी थी,
शादी के बाद का नज़ारा क्या कहना,
वो 'दर्द' दोबारा क्या कहना,
शादी ब्याह एक नौकरी है
तन्ख्वाह में बीवी मिलती है
और बोनस में बच्चे मिलते है,
झूठे सपने हासिल होते है
और प्रौब्लम सच्चे मिलते है,
तन्ख्वाह का यारों क्या कहना
ज़िंदगी में सिर्फ़ एक बार मिलती है,
और पार्ट टाईम अगर करना चाहो
तो गालियाँ बेकार मिलती है!!
उसके बाद तो भोले की जो हालत हुई,उसने तौबा कर लिया किसी जश्न में जाने से। अब ऐसे आदमी की एक ही मंज़िल हो सकती थी। तो भोला को एक मरनी मे शोक भरी कविता सुनाने का अवसर मिला...उसकी कविता,जैसे बाकी सब उसकी थी ना, कुछ कुछ वैसी ही,चलिये सुनते हैः
मरने वाले की कद्र कहाँ
तेरी कब्र पे यहा सब थूकेंगे,
तेरी प्रौपर्टी पर नज़र है सबकी
मुँह मारने से कहा ये चूकेंगे,
अपने पीछे तू छोड़ गया
दौलत के इन भूखों को,
आँखो में झूठी बरसातों को
खेतों में सच्चे सूखों को,
मरने वाले लानत तुझपर!!
लानत तेरी जात पर,
मर-कट रहे है इंसाँ देखो
बेमतलब की बात पर...
मरने वालो और उसके रिश्तेदारो की इतनी तारीफ़ करने के बदले में भोला को 'अच्छा खासा' इनाम मिला। ऐसी मेहमाननवाज़ी के बाद उसने फ़ैसला किया की किसी के मरनी पे नही । ज़ाहिर सी बात है उसे एक ही जगह पहुँचना था,पड़ोस में एक बच्चे के जन्म पे अपने पिता का एक शेर चुराके पहुचा..आईये हम भी सुनेः
माना बच्चे भगवान की सूरत है,
पर क्या हमको इनकी ज़रूरत है,
पहले ही आबादी क्या कम है
जो और मुसीबत हम पाले,
बेहतर ये है की अब इसका
कोई प्राक्रतिक हल निकाले,
ये भीड़ जमाना बंद करो,
छोटे परिवार को पसंद करो,
धरती देती है आवाज़ तुम्हे,
बदलना होगा ये अंदाज़ तुम्हे,
खाने वाले गर ऐसे बढ़ते रहे
फ़िर एक रोज़ नही मिलेगा अनाज तुम्हे....
बस इतना कहना था की मौजूद लोगो का प्यार उसपे उमड़ आया...उसने फ़िर कभी कोई कविता नही सुनायी...इतना बुरा हाल हुआ उसका,जैसे बाकी चुराये शेर सुनाने वालों का होता है ना, कुछ वैसा ही :)
14 comments:
शादी ब्याह एक नौकरी है
तन्ख्वाह में बीवी मिलती है
और बोनस में बच्चे मिलते है,
बहुत ख़ूब
....
तखलीक़-ए-नज़र
http://vinayprajapati.wordpress.com/
" socho kabhi aisa ho to kya ho.....????? nice thoughts and expressions"
regards
तन्ख्वाह का यारों क्या कहना
ज़िंदगी में सिर्फ़ एक बार मिलती है,
और पार्ट टाईम अगर करना चाहो
तो गालियाँ बेकार मिलती है!!
bahut khub, Lage rahiye.
हा हा हा हा
भई प्यासा जी, मान गए. एक सुझाव देना चाहूँगा. मानोगे तो भला, ना मानोगे तो भला ही भला.
सुझाव ये है कि इस मुसाफिर जाट को भी शायरी सिखा दो. ससुरा दूसरों की शायरी पढ़ पढ़ कर हँसता रहता है. धन्यवाद.
baap re kabhi aisa ho to.....hahaha ,
तन्ख्वाह का यारों क्या कहना
ज़िंदगी में सिर्फ़ एक बार मिलती है,
और पार्ट टाईम अगर करना चाहो
तो गालियाँ बेकार मिलती है!!
@ Vinay
hausla badhaaye rahiye bas humara
@ Seema Mam...
thanks mam for being kind and supportive
@ Shashwant Sir
bas dhakaad ke likhne ki koshish mein laga hua hoon
@ Rashmi mam
aap logo ko hasaa diya,koshish kaamyaab huyee
@ Musaafir..
bhaai saab aap to bina shayari ke jo likhte hai uske hi hum bahut bade fan ban gaye hai...shayri mein kya rakha hai,tukbandi hai apni to :)
blog par swaagat haiaapka...padhte rahiyega...
waah har kavita ,gazal bahut khub
आनंद आ गया सजल भाई - क्या गज़ब लिखा है!
mast likhe ho bhai.. us din nahi padh saka tha thik se.. abhi padha aur bas maja aa gaya.. :)
ROLF........nice post........ nice way to express ur poems in a story pattern.....liked every bit of it
Thanks friends...
a warm welcome to first time visitors like... Smart Indian and mehek ji :)
maja aa gaya bhai mere........kya andaj hai likhne ka.........and kya bakhubi pesh kiya apne thoughts ko aapne
waah-waah kya khoob kaha hai.. :)
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