Tuesday, December 23, 2008
हम ही नाहक दीवाने हुए !!!
आज तलक जो यही किस्से सुनकर सयाने हुए,
अंदाज़-ए-बयाँ बदला तो कहते है हम दीवाने हुए
मेरी कहानियाँ हकीकत हुआ करती थी तुम्हारी,
आज मेरे असलियत के वाक्ये सब फ़साने हुए
हमारी ही नादानी से हुआ है आलम ये विशैला,
ज़मीं डगमगायी तो चांद पर जाने के बहाने हुए
हम दोनो पर ही तो गोली चलाने आया था वो नादान,
हमने सही दुश्मन पहचाना, तुम एक कौम से बेगाने हुए
चाहे कहीं की भी पाक मिट्टी हो , जड़ तो यहीं पर है,
हिंदुस्तान में बहकाये गये तो अफ़गान में ठिकाने हुए
इतना समझा के जब हम बोले की जंग नही करना,
ऐसे वतन का वास्ता दिया,जैसे हम बैठे है दीवाने हुए
Dedicated to the philosophy of unity of various beliefs and religions...and its increased importance during times of terror...during the difficult times...the philosophy of peace and prosperity...for all... aameen :)
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16 comments:
भाव, िवचार और शिल्प के समन्वय से किवता बडी प्रभावशाली हो गई है । सूक्षम अनुभूतियों को गहराई से शब्दबद्ध किया है । बहुत अच्छा लिखा है आपने । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है- आत्मविश्वास के सहारे जीतें जिंदगी की जंग-समय हो पढें और कमेंट भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
अच्छी रचना
Bahut khoob :)
@ Ashok ji..sabse pehle to is blog par aapka swaagat hai...aapko padhna mera saubhagya hoga...nishchay hi main waqt nikaloonga...shukriya
@ Prakash ji..dhanyvaad aapka
@ Hari bhaai...bas aap logo ka support milte rahe bas...
"हम दोनो पर ही तो गोली चलाने आया था वो नादान,
हमने सही दुश्मन पहचाना, तुम एक कौम से बेगाने हुए"
सोचने पर मजबूर करता है|
"मेरी कहानियाँ हकीकत हुआ करती थी तुम्हारी" में थोडी फेरबदल की गुंजाइश है|
"आज तलक जो यही किस्से सुनकर सयाने हुए,
अंदाज़-ए-बयाँ बदला तो कहते है हम दीवाने हुए"
बहुत जानदार बन पड़ा है, पावरफुल|
सजल जी क्या बात है आपने तो जज़्बाती कर दिया
@ Shashwant ji
Sir,aapke dil dimaag tak kavita pahunchi bas uddeshy poora ho gayaa...aapke sujhaav ko dhyaan mein rakhoonga aur sudhar ki koshish karta rahoonga
@ Vinay ji..safalta hi samjhoon tab isko?? :)
चाहे कहीं की भी पाक मिट्टी हो , जड़ तो यहीं पर है,
हिंदुस्तान में बहकाये गये तो अफ़गान में ठिकाने हुए
" कितनी गहरी सोच है और शानदार अभिव्यक्ति , ये शेर लाजवाब है "
Regards
इस अधूरी कविता में बहुत कुछ है......
बहुत ही अच्छी लगी
@ Seema ji..aap hausla badhate rahiye,meri koshish jaari hai :)
@ Rashmi mam
pehle to aapka is adhhori kavita ki duniya mein swagat hai...hausla badhaate in shabdo ke liye aapka shukriya...
परिपक्व अंदाज है. शेर बहुत दमदार हैं...मुझे ये शेर सबसे पसंद आया
चाहे कहीं की भी पाक मिट्टी हो , जड़ तो यहीं पर है,
हिंदुस्तान में बहकाये गये तो अफ़गान में ठिकाने हुए
:)
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