Friday, December 26, 2008

थोड़ा सा व्यंगात्मक हो जाये...


पहुँचे थे एक कविता प्रतियोगिता में,
पहला नंबर अपना ही था,
पहली लाईन सुनायी...


'ज़िंदगी एक कविता है'
पहली सीट पे बैठे एक सज्जन बोले
तुमको कैसे पता है?
शायराना उत्तर दिया
जीवन दोनो के बिन सूना है,
उधर से आवाज़ आयी
आदमी है या नमूना है,
गिड़गिड़ाये हम,
एक लाईन तो
आराम से बोलने दो भाई,
तो जवाब था-हम नेता है
जनता को परेशान कर
होती है अपनी कमाई...

ज़िंदगी कविता हो ना हो
पर अपनी ज़िंदगी
एक गमसीन शायर की
गज़ल हो चुकी थी,
उस नेताजी की तमाम
कोशिशे सफ़ल हो चुकी थी,
काव्य-पाठ के अरमान सो गये
और भागने के अरमान जाग गये,
मौके की नज़ाकत को समझ
हम सिर पे पाव रख भाग गये....


अगले दिन खबर मिली
हम प्रतियोगिता जीत गये
सोचा हमने,
अपनी एक ही पंक्ति का
ये कमाल होगा,
ये खबर सुन,
उस नेता का क्या हाल होगा...


तब एक मित्र ने एहसास दिलाया हमे
की हम नेताजी के कर्ज़दार हो चुके थे,
पहल नंबर तो अपना था
और बाकी...
नेताजी के डर से फ़रार हो चुके थे!!!



ये हास्य-व्यंग में मेरी पहली कोशिश थी,जो तीन-साढ़े तीन साल पहले लिखी गयी थी..डायरी के पन्ने पलटते हुये इसपे नज़र गयी तो सोचा इसे ब्लौग पे डाल जाये...आप सबके सुझाव क इंतज़ार करूँगा,हस्य-व्यंग में काफ़ी समय से कोई कोशिश नही की है..उम्मीद है अब प्रेरणा मिलेगी

19 comments:

Vinay said...

बहुत बढ़िया, भई, नेता जी फ़रार हो चुके थे

---
चाँद, बादल, और शाम
http://prajapativinay.blogspot.com/

गुलाबी कोंपलें
http://www.vinayprajapati.co.cc

ghughutibasuti said...

बढ़िया है । लिखते रहिए। 'करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान' या ऐसा ही कुछ कहा जाता है। जब हम जड़मति लगे हुए हैं तो आप जड़मति न होते हुए क्यों न लगे रहें?
घुघूती बासूती

ss said...

अगली बार से नेताओं को मत बुलाइएगा! बढ़िया प्रयास| ऐसे ही धकाड़ के लिखते रहिये|

seema gupta said...

'good composition, vyng vyng mey ek baat to sach he likhe na ki 'jindge ek kavita hai' yhe sach hai jise hr koe apne apne trike se gata or likhta hai or jindge rupe kavita yunhe behte rhte hai dukh sukh ke jhonko se rubru hoker. Aapka pryas accha hai, keep it up. Good luck. Regards

PD said...

bahut bahdiya likhe ho..
kuchh aur try karo, achchha hi likhoge.. :)

Prakash Badal said...

अक्सर कोशिशें ही तो हैं जो कामयाब होती हैं

कोशिश जारी रहे मेरा विश्वास आप बड़े लेखक बनेंगे।

रश्मि प्रभा... said...

तो जवाब था-हम नेता है
जनता को परेशान कर
होती है अपनी कमाई...
wah.....mazaa aa gaya padhkar

Sajal Ehsaas said...

घुघूती बासूती..
aap mere blog pe shayad pehli baar aaye hai to aapka laag se swaagat karna chahoonga..ab to soch liya hai ki lage rahenge...itna pyar mil raha hai logo ka :)

Sajal Ehsaas said...

@ Vinay..
maharaj, netaji ne to baakiyo ko farar kar diya unko kya zaroorat faraar hone ki..hausla badhaane ka shukriya

@ Shashwant...
Sir Ji mera bas chale to netaao ko sarkar banaane bhi na bulaaye...

@ Seema Mam...aapse is ek line ki tareef sunke lagta hai main itna galat nai soch raha tha jab mujhe laga "apni ek hi line ka ye kamaal hoga" ...badi achhi baat kahee aapne :)

PD Bhaiya..bas ab dil lagta jaa raha hai..likhte rahenge

@ Prakash Ji..janaab aapne badi door ki baat kar di..abhi to lekhan ka mazaa lootna hai

@ Rashmi mam..koshish safal huyee humari jo aap logo ko pasand aayee :)

divya said...

gazab ho gaya..kya likha hai aapne waah ji waah..
[:P]...aapke blog me hum har baar aate hai..mere blog me aap bhi dikh jate hai..he he..likhte raho..

वर्षा said...

अच्छी कविता कही

Vineet Pandey said...

bitspratik.blogspot.com
might like this

Sajal Ehsaas said...

@ Divya Di and Varsha ji...thanks for compliment

Vineet...dekhte hai link :)

Ashish Gourav said...

I feel this is quite matured poem.....and ur first attempt at "हस्य-व्यंग"..gr8......ur a gem...
I've never written any diary....... I think I should start writing now....after u reminded me thru this post :)
thnx

Sajal Ehsaas said...

Thanks Dost :)

Puja Upadhyay said...

पहली कोशिश तो अच्छी है, पर पहला पढने का मौका जरा गडबडा गया...अगली कविता लिखिए तो नेताओं को मत बुलाइएगा...हम जैसे अच्छे श्रोताओं को न्योता दीजियेगा :) आगे के लिए शुभकामनाएं

Unknown said...

Isn't this post pretty much genius? I think it's a super example of what good comedy should be about. Don't ask me to go into specifics as to why that is. Sadly, I'm no expert. Also, it's nearly 2.50 pm and my brain is a bit fried anyway. Otherwise I might spew some crap and we could pretend there was a bit of credibility to my thoughts on the matter.

Sajal Ehsaas said...

that was pretty much flattering honestly....thanks a lot for such kind words :)

Unknown said...

lolz
watever u think.... i already said wat i wanted 2... nice 2 c ur honesty :D