Saturday, May 9, 2009

अगर तुम ना होती तो चांद की तारीफ़ कैसे करता :)

दोस्तों,मुझे इस कविता की प्रेरणा अपने मित्र गौरव(गाज़िआबाद वाला) से मिली,जब उसने अचानक ही चांद पर एक बड़ी खूबसूरत पंक्ति बना डाली।इस पर मैने एक छोटी सी कविता रचने कि कोशिश की है,जो असल में मेरी खुशी का इज़हार है। गौरव को सहित्य में ऐसी कोई खास रूचि ना होने के बावजूद,वो पहले भी मुझे कुछ कुछ लिखने के लिये प्रेरित कर चुका है।ऐसी दो उदाहरणों को यहाँ पढ़े : लफ़्ज़ों की एक इमारत है सोने की अपनी नाँव है,चांदी का बाकी पानी है

इस बार की पंक्ति: अगर तुम ना होती तो चांद की तारीफ़ कैसे करता !!

मेरी कविता,एक सलाम इस खूबसूरत ख्याल को :

अगर तुम ना होती तो चांद की तारीफ़ कैसे करता,
इतनी हसीन कविता लिखने का जज़्बात कहाँ उभरता।।।

मेरा सारा काव्य सौंदर्य तेरे सौंदर्य की लीला गाता है,
मेरे लेखन का नशा तमाम,तेरे नशे में चूर हुआ जाता है,
मेरी कल्पना की उड़ान तुझे चांद पर,कभी सितारों पर पाती है,
और विचारशीलता की ऊँचाई तुमको आसमाँ पे बिठाये जाती है,
सच मानो तो ये सारा रस तेरे रूप के रस का बखान करते है,
देखो तो अलंकार ये,तुझसे अलंकृत होकर ही संवरते है,
अनुप्रास के नाम पर बस तेरा नाम बार बार दोहराता हूँ,
श्लेश के बहाने  तेरे एक एहसास के अनेक अर्थ बतलाता हूँ


ज़माना लाख सोचे की मैं कैसा प्यारा,कितना खूबसूरत लिखता हूँ,
लेकिन मेरा दिल जानता है,मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुमको लिखता हूँ,
ना होती तुम तो किसके दम पे कवि होने का दंभ भरता,
अगर तुम ना होती तो चांद की तारीफ़ कैसे करता !!!

14 comments:

Vinay said...

भाव पक्ष से कविता सुन्दर बन पड़ी है

Yogesh Verma Swapn said...

alankaron ka achcha prayog kiya hai. sunder kavita ke liye badhai.

हरकीरत ' हीर' said...

ज़माना लाख सोचे की मैं कैसा प्यारा,कितना खूबसूरत लिखता हूँ,
लेकिन मेरा दिल जानता है,मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुमको लिखता हूँ,
ना होती तुम तो किसके दम पे कवि होने का दंभ भरता,
अगर तुम ना होती तो चांद की तारीफ़ कैसे करता !!!

लाजवाब......!!

बहुत ही सलीके से लिखी गयी श्रृंगार को समर्पित अद्भुत नज़्म ....!!

Sajal Ehsaas said...

aap sab logo ka bahut bahut shukriyaa...meri baat aap tak pahunchi mujhe iski khushi hai :)

Harkirat Mam,aapne aisa kaha to sach mein bahut achha laga..

योगेन्द्र मौदगिल said...

Wahwa.. बेहतरीन भावाभिव्यक्ति के लिये साधुवाद

laveena rastoggi said...

मेरा दिल जानता है,मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुमको लिखता हूँ,
...bahut khoobsoorat....keep it up..

Meynur said...

ज़माना लाख सोचे की मैं कैसा प्यारा,कितना खूबसूरत लिखता हूँ,
लेकिन मेरा दिल जानता है,मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुमको लिखता हूँ,
ना होती तुम तो किसके दम पे कवि होने का दंभ भरता,
अगर तुम ना होती तो चांद की तारीफ़ कैसे करता !!!
Waah........!

vishakha said...

very cute poem..I believe hindi is most beautiful and kind language amongst all languages when used properly..and when I gone through ur blog I found this difference absolutely true..keep writing becoz u r blessed with something gr8 which is priceless..

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

बेहतरीन....

डिम्पल मल्होत्रा said...

अगर तुम ना होती तो चांद की तारीफ़ कैसे करता !!mind blowing.....

डिम्पल मल्होत्रा said...

mera dil janta hai main sirf tumko likhta hun......yeh aap ne mere dil ki baat chura li.....

Goblet Pumpkin said...

Aaapne bahot hi accha likha hain.Aapki kavita padhke mann akdamm prasann ho gaya hain....yakeen kariye...aur likhiye!!!

Sajal Ehsaas said...

aap sabhi ka bahut bahut shukriyaa :)

वर्तिका said...

बहुत खूब... d way u have connected every element is wonderful....