Friday, June 5, 2009

शायरी ये तेरी गुलाम ना बनी रहे इसका डर है....

उस दिन लगा जैसे इस बात का फ़कर है, 
मैं कोई अंधा नही,शुक्र है मेरी भी नज़र है।  

जब तेरे रुख पे जाके रुक गयी मेरी निगाह, 
दिल बोले कयामत है,धड़कन कहे की कहर है।  

हवाओं की मेहरबानी से हुई ज़ुल्फ़ो में हलचल, 
ठहरी हुई महुआ की बूँद,या मानो एक लहर है।  

किन्हीं आँखों मे ना देखी थी गहराई कुछ ऐसी,  
दुनिया तमाम वीरान,इनमे बसता एक शहर है।  

बड़ी अदा में दाँतों से जो तू काटती थी लबों को,  
होंठो पे मद्धम दर्द,इस जिगर पे मरहम सा असर है।  

उतरा जो ज़रा सा तो और नीचे ना जाया जाये,  
ये तेरे करम है,या ज़ालिम ये तेरी कमर है।  

तूने शायर बना दिया इस बात का नाज़ होता है, 
शायरी ये तेरी गुलाम ना बनी रहे इसका डर है।

13 comments:

Vinay said...

बहुत बढ़िया

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चाँद, बादल और शाम

admin said...

जिंदगी का आइना करीब से दिखाती है आपकी गजल। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

समय चक्र said...

badhiya shayiraana andaaj behad khoobasoorat . badhai.

राज भाटिय़ा said...

बड़ी अदा में दाँतों से जो तू काटती थी लबों को,
होंठो पे मद्धम दर्द,इस जिगर पे मरहम सा असर है।
हर शेर एक से बढ कर एक बहुत सुंदर.
धन्यवाद

वीनस केसरी said...

आप ने जो लिखा उसका भाव मुझे बहुत अच्छा लगा आपने बहुत ही अच्छी कह की गजल कही है

मगर इतनी अच्छी गजल पढने में लय की कमी खल रही है क्योकी गजल बहर में नहीं है
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आपका वीनस केसरी

Vandana Singh said...

wah bahut hi khoobsorat rachna hai ...har pankti lajvaab hai ...

vandana gupta said...

waah lajawaab gazal.....dil ko choo gayi

दिगम्बर नासवा said...

बड़ी अदा में दाँतों से जो तू काटती थी लबों को,
होंठो पे मद्धम दर्द,इस जिगर पे मरहम सा असर है

वाह बहुत ही खूबसूरत शेर लिखा है सजल जी............. प्रेम में डूबा हुवा

Sajal Ehsaas said...

shukriya dosto... koshish jari rahegi :)

डॉ. मनोज मिश्र said...

किन्हीं आँखों मे ना देखी थी गहराई कुछ ऐसी,
दुनिया तमाम वीरान,इनमे बसता एक शहर है। ..
वाह -खूबसूरत ख्याल .

Sajal Ehsaas said...

Manoj Sir...swagat hai aapka blog par...shukriya in shabdo ke liye :)

laveena rastoggi said...

kya baat hai....

Sajal Ehsaas said...

Laveena Ji...nice to see u back on blogspot...hope aapka koi post bhi padhne ko mile jald hume :)