मैं कोई अंधा नही,शुक्र है मेरी भी नज़र है।
जब तेरे रुख पे जाके रुक गयी मेरी निगाह,
दिल बोले कयामत है,धड़कन कहे की कहर है।
हवाओं की मेहरबानी से हुई ज़ुल्फ़ो में हलचल,
ठहरी हुई महुआ की बूँद,या मानो एक लहर है।
किन्हीं आँखों मे ना देखी थी गहराई कुछ ऐसी,
दुनिया तमाम वीरान,इनमे बसता एक शहर है।
बड़ी अदा में दाँतों से जो तू काटती थी लबों को,
होंठो पे मद्धम दर्द,इस जिगर पे मरहम सा असर है।
उतरा जो ज़रा सा तो और नीचे ना जाया जाये,
ये तेरे करम है,या ज़ालिम ये तेरी कमर है।
तूने शायर बना दिया इस बात का नाज़ होता है,
शायरी ये तेरी गुलाम ना बनी रहे इसका डर है।
13 comments:
बहुत बढ़िया
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चाँद, बादल और शाम
जिंदगी का आइना करीब से दिखाती है आपकी गजल। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
badhiya shayiraana andaaj behad khoobasoorat . badhai.
बड़ी अदा में दाँतों से जो तू काटती थी लबों को,
होंठो पे मद्धम दर्द,इस जिगर पे मरहम सा असर है।
हर शेर एक से बढ कर एक बहुत सुंदर.
धन्यवाद
आप ने जो लिखा उसका भाव मुझे बहुत अच्छा लगा आपने बहुत ही अच्छी कह की गजल कही है
मगर इतनी अच्छी गजल पढने में लय की कमी खल रही है क्योकी गजल बहर में नहीं है
गजल व बहर के विषय में कोई भी जानकारी चाहिए हो तो सुबीर जी के ब्लॉग पर जाइये
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आपका स्वागत है तरही मुशायरे में भाग लेने के लिए सुबीर जी के ब्लॉग सुबीर संवाद सेवा पर
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आपका वीनस केसरी
wah bahut hi khoobsorat rachna hai ...har pankti lajvaab hai ...
waah lajawaab gazal.....dil ko choo gayi
बड़ी अदा में दाँतों से जो तू काटती थी लबों को,
होंठो पे मद्धम दर्द,इस जिगर पे मरहम सा असर है
वाह बहुत ही खूबसूरत शेर लिखा है सजल जी............. प्रेम में डूबा हुवा
shukriya dosto... koshish jari rahegi :)
किन्हीं आँखों मे ना देखी थी गहराई कुछ ऐसी,
दुनिया तमाम वीरान,इनमे बसता एक शहर है। ..
वाह -खूबसूरत ख्याल .
Manoj Sir...swagat hai aapka blog par...shukriya in shabdo ke liye :)
kya baat hai....
Laveena Ji...nice to see u back on blogspot...hope aapka koi post bhi padhne ko mile jald hume :)
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