फ़िर एक ख्वाब को हकीकत बना लिया,
हमने आज एक और मुकाम पा लिया ।
ज़िम्मेदारियों के प्रति ये आँखें खुली भी,
और नींद मे भी एक सपना सजा लिया।
मोहब्बत तो सिर्फ़ कमज़ोर करती आई थी,
सब भुला इस मकसद से दिल लगा लिया।
जोश और जज़्बे मे तो अब कमी नही होगी,
मेरे मुकद्दर ने भी देखो ऐसा फ़ैसला लिया ।
ज़िंदगी तमाम गुज़ारी अपनी शर्तों पे हमने,
मौत को अपनी मर्ज़ी का गुलाम बना लिया।
17 comments:
bahut khub ..........ek ek panktiyan nayab hai.......bahut sundar
ज़िंदगी तमाम गुज़ारी अपनी शर्तों पे हमने
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shandar ghazal. sher mukammal. bahut khoob.
M Verma
http://verma8829.blogspot.com/
ज़िंदगी तमाम गुज़ारी अपनी शर्तों पे हमने,
मौत को अपनी मर्ज़ी का गुलाम बना लिया।
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सुन्दर भाव है,मै इसी बात को ऐसे कहता हूं,
"मै अपनी ज़िन्दगी से डर गया था,
मगर जो जी मै आया, कर गया था."
फ़िर एक ख्वाब को हकीकत बना लिया,
हमने आज एक और मुकाम पा लिया ।
bahut khoob !!!
waah bhai
ज़िंदगी तमाम गुज़ारी अपनी शर्तों पे हमने,
मौत को अपनी मर्ज़ी का गुलाम बना लिया।
Last lines full of life! zabardast hain!
बहुत दिनों बाद आना हुआ . इस बीच की रचनाएँ पढ़ डालीं . बड़ा मज़ा आया खास कर बी आयी टी रानी :) .कालेज से वाकिफ होना याद भी दिला गया .आपके गद्य और पद्य दोनों में धार आयी है . बरक़रार रखें .
जबरदस्त!! बेहतरीन!
aap sab ka bahut shukriyaa...
Raj Sir...bahut encouraging words kahe aapne... :)
मोहब्बत तो सिर्फ़ कमज़ोर करती आई थी,
सब भुला इस मकसद से दिल लगा लिया।
अरे वाह सभी शॆर एक से बढ कर एक,
धन्यवाद
mere blog par aane ke liye dhnywad.
snyog se hi maine ak line aaj hi likhi hai.
maout ki gulam hoti ja rhi hai jindgiya .
Shobhna Mam...welcome to this blog...aur haan,pyaara ittefaq thaa...wo rachna blog pe post ki kya aapne??
Raj Sir..bas aapke hausla badhane ka hi intezaar tha
आप तो बस इसी तरह लिखते रहो
कुछ दिन के अन्दर ही आपकी लेखनी में बहुत अच्छा बदलाव आया है
वीनस केसरी
फ़िर एक ख्वाब को हकीकत बना लिया,
हमने आज एक और मुकाम पा लिया ।
बहुत ही बेहतरीन लिखा है आपने, बधाई
Bahut Sunder Ghazal hai! Sach!
realy too good meaning ful poetry ..evry lin so nic
ज़िम्मेदारियों के प्रति ये आँखें खुली भी,
और नींद मे भी एक सपना सजा लिया।
sory too late responce but i never forget read ur poetry sir
Venus Ji..aapse yehi umeed rehti hai ki aap critically mere kaam ko dekhe,isse seekhne ko miltaa hai...
Sada Ji,welcome to this blog..
Meynur Ji...bahut din baad nazar aaye?
Vandana...thats really flattering...thank u
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