Tuesday, June 30, 2009

ज़िंदगी गुज़ारी अपनी शर्तों पे हमने ...

फ़िर एक ख्वाब को हकीकत बना लिया,
हमने आज एक और मुकाम पा लिया ।

ज़िम्मेदारियों के प्रति ये आँखें खुली भी,
और नींद मे भी एक सपना सजा लिया।

मोहब्बत तो सिर्फ़ कमज़ोर करती आई थी,
सब भुला इस मकसद से दिल लगा लिया।

जोश और जज़्बे मे तो अब कमी नही होगी,
मेरे मुकद्दर ने भी देखो ऐसा फ़ैसला लिया ।

ज़िंदगी तमाम गुज़ारी अपनी शर्तों पे हमने,
मौत को अपनी मर्ज़ी का गुलाम बना लिया।

17 comments:

ओम आर्य said...

bahut khub ..........ek ek panktiyan nayab hai.......bahut sundar

M VERMA said...

ज़िंदगी तमाम गुज़ारी अपनी शर्तों पे हमने
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shandar ghazal. sher mukammal. bahut khoob.

M Verma
http://verma8829.blogspot.com/

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

ज़िंदगी तमाम गुज़ारी अपनी शर्तों पे हमने,
मौत को अपनी मर्ज़ी का गुलाम बना लिया।
********************************
सुन्दर भाव है,मै इसी बात को ऐसे कहता हूं,

"मै अपनी ज़िन्दगी से डर गया था,
मगर जो जी मै आया, कर गया था."

स्वप्न मञ्जूषा said...

फ़िर एक ख्वाब को हकीकत बना लिया,
हमने आज एक और मुकाम पा लिया ।

bahut khoob !!!

अनिल कान्त said...

waah bhai

प्रिया said...

ज़िंदगी तमाम गुज़ारी अपनी शर्तों पे हमने,
मौत को अपनी मर्ज़ी का गुलाम बना लिया।

Last lines full of life! zabardast hain!

RAJ SINH said...

बहुत दिनों बाद आना हुआ . इस बीच की रचनाएँ पढ़ डालीं . बड़ा मज़ा आया खास कर बी आयी टी रानी :) .कालेज से वाकिफ होना याद भी दिला गया .आपके गद्य और पद्य दोनों में धार आयी है . बरक़रार रखें .

Udan Tashtari said...

जबरदस्त!! बेहतरीन!

Sajal Ehsaas said...

aap sab ka bahut shukriyaa...

Raj Sir...bahut encouraging words kahe aapne... :)

राज भाटिय़ा said...

मोहब्बत तो सिर्फ़ कमज़ोर करती आई थी,
सब भुला इस मकसद से दिल लगा लिया।
अरे वाह सभी शॆर एक से बढ कर एक,
धन्यवाद

शोभना चौरे said...

mere blog par aane ke liye dhnywad.
snyog se hi maine ak line aaj hi likhi hai.
maout ki gulam hoti ja rhi hai jindgiya .

Sajal Ehsaas said...

Shobhna Mam...welcome to this blog...aur haan,pyaara ittefaq thaa...wo rachna blog pe post ki kya aapne??

Raj Sir..bas aapke hausla badhane ka hi intezaar tha

वीनस केसरी said...

आप तो बस इसी तरह लिखते रहो
कुछ दिन के अन्दर ही आपकी लेखनी में बहुत अच्छा बदलाव आया है
वीनस केसरी

सदा said...

फ़िर एक ख्वाब को हकीकत बना लिया,
हमने आज एक और मुकाम पा लिया ।

बहुत ही बेहतरीन लिखा है आपने, बधाई

Meynur said...

Bahut Sunder Ghazal hai! Sach!

Vandana Singh said...

realy too good meaning ful poetry ..evry lin so nic
ज़िम्मेदारियों के प्रति ये आँखें खुली भी,
और नींद मे भी एक सपना सजा लिया।
sory too late responce but i never forget read ur poetry sir

Sajal Ehsaas said...

Venus Ji..aapse yehi umeed rehti hai ki aap critically mere kaam ko dekhe,isse seekhne ko miltaa hai...

Sada Ji,welcome to this blog..

Meynur Ji...bahut din baad nazar aaye?

Vandana...thats really flattering...thank u