बलिदान दिवस के मौके पर एक रचना आप लोगो से बाँटना चाहूँगा। सही मायने मे ये मेरी रचना नही है,सुभद्रा कुमारी जी की कविता झाँसी की रानी की एक छोटी सी पैरोडी मैने अपने कौलेज मे आयोजित एक छोटे से हास्य कवि सम्मेलन मे सुनाई थी,वो ही पेश कर रहा हूँ। हमारे कौलेज बी.आई.टी मेसरा मे एक इन-टाईम का फ़ंडा है,ये वो समय है जब तक कौलेज कि लड़कियों को अपने हौस्टल मे प्रवेश कर जाना होता है,और इसके बाद उनके बाहर जाने पर मनाही है।लड़को के लिये ऐसी कोई रोक-टोक नही है!! सबसे हास्यप्रद बात ये है की ये इन-टाईम कभी कभी 5.30 बजे भी होता है,जो की बहुत ही ज़्यादा जल्दी है। मुझे हमेशा से ऐसा लगा है की यहाँ इस प्रथा का विरोध होना चाहिये,और इसी विचार को मैने अपने कौलेज-फ़ेस्ट मे सुनाई इस रचना मे सामने रखा था,आज आप लोगो के सामने पेश कर रहा हूँ।
ये कविता समर्पित है एक ऐसी लड़की को जो बी.आई.टी मे पढ़ती है,और इन-टाईम हटवाने के लिये लड़ती है।
कविता की पंक्तियाँ :
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवार,
महाराष्टर-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
पैरोडी की पंक्तियाँ :
ऐडमिनिस्ट्रेशन हिल उठा,रुकी उनकी मनमानी थी,
बूढ़े बी.आई.टी मे आयी फ़िर से नयी जवानी थी,
छिनी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर इन-टाईम को करने की सबने मन मे ठानी थी,
चमक उठी सन 2k9 मे, वो तलवार पुरानी थी,
प्रोफ़ेसर और मैडम के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो बी.आई.टी वाली रानी थी।
लक्ष्मी थी,या दुर्गा थी,वो स्वयं वीरता की अवतार,
देख लड़के भी पुलकित होते,उसकी बातों के वार,
प्रोजेक्ट करना,असाईनमेंट बनाना,थे उसके प्रिय शिकार,
राँची जाना,इन-टाईम तोड़ना,ये थे उसके प्रिय खिलवार,
ये इन-टाईम की प्रथा तो,उसको बस हटानी थी,
प्रोफ़ेसर और मैडम के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो बी.आई.टी वाली रानी थी।
11 comments:
बहुत खूब लिखा .बधाई .
shandaar our jaandaar bhi
shandar our jaandar bhi
Kya baat hai...waah
वाह! बहुत बढिया!!
वाह भाई बहुत ख़ूब लिखा
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चर्चा । Discuss INDIA
shukriya dosto...
पैरोडी बढ़िया है।
thik thak hai ye jod tod.
"पैरोडी" भी खूब जानदार रही.
बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
gud one... nd to actually convey something like this, thru a lighthearted poem , is a creative thing dats expected out of u....
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