Thursday, June 11, 2009

चांद को क्या मालूम की तारीफ़ किसी और की होती है :)

कल शाम पार्क मे बैठा हुआ था,
पास एक बच्चा प्यारी सी एक ज़िद
किये जा रहा था,किये जा रहा था,
कहता, चंदा मेरा मामा है तो चलो,
एक बार मिलवाओ मुझे उनसे,एक बार,
और साथ मे जो थे,उसके पिता होंगे,
इस मासूम पर जटिल ज़िद के आगे लाचार,
बगल वाली बेंच पे ये भोला सा तमाशा,
चले जा रहा था,चले जा रहा था...


और....ऐसे मे मेरे अंदर का कवि जागा,
सोचता हूँ कभी जब अपना भी बच्चा होगा,
और अपने चंदा मामा से मिलना चाहेगा,
इसी तरह कभी ज़िद करने लगेगा पार्क मे,
तो कह दूँगा,मुन्ने साब बात ऐसी है,
आपके मामा अब हमसे नाराज़ हो गये है,
क्योंकि आज तक उनका नाम लेकर हम,
आपकी मम्मी को बुलाते आये है,और,
जाने कितनी ही कवितायें बनाते आये है...

अगर अब भी नही समझे की ये कवि,
क्या कह रहा है,तो जान लो ये कविता,
एक बहाना था,एक बार फ़िर तुमको,
चुपके से चांद कहके बुलाना था !!!

18 comments:

Vinay said...

बड़ी मासूमियत शामिल है...

राज भाटिय़ा said...

तो कह दूँगा,मुन्ने साब बात ऐसी है,
आपके मामा अब हमसे नाराज़ हो गये है,
क्योंकि आज तक उनका नाम लेकर हम,
आपकी मम्मी को बुलाते आये है,और,
जाने कितनी ही कवितायें बनाते आये है...
बहुत ही सुंदर जी.
धन्यवाद

Poonam Agrawal said...

Sunder bhaav....sunder blog....badhai

Sajal Ehsaas said...

shukriya dosto...Poonam mam...welcome to the blog :)

vandana gupta said...

waah.......kya ada hai.

Science Bloggers Association said...

चांद और महबूब की बहुत सी रचनाएं पढी हैं, पर यह कविता उन सबसे जुदा है। बधाई।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

SAHITYIKA said...

bahut hi masum jid..
nice poem...

गर्दूं-गाफिल said...

बहुत ही सुंदर

Sajal Ehsaas said...

shukriya aap sab kaa

k'sonal_theknowlegend said...

yeh title mujhe tab bhi badi achhi lagi thi jab tumne kisi aur ke liye yeh baat kahi thi......masstt line hai boss."chaand ko kya maloom ki taareef kisi aur ki hoti hai"

ending bhi mujhe badi achhi lagi..
"एक बहाना था,एक बार फ़िर तुमको,
चुपके से चांद कहके बुलाना था !!!
"

प्रिया said...

waah bachcha bhi bahal gaya aur aap bhi... sunder

Prem Farukhabadi said...

अगर अब भी नही समझे की ये कवि,
क्या कह रहा है,तो जान लो ये कविता,
एक बहाना था,एक बार फ़िर तुमको,
चुपके से चांद कहके बुलाना था !!!

bahut sundar!!

मुकेश कुमार तिवारी said...

Very Nice one, wherin you innocently dwelled with imotions.

Mukesh Kumar Tiwari

कडुवासच said...

... बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति !!!

Anonymous said...

WAH kya baat hai.........Bahut khubsurat rachna hai apki......... dil ko chhoo lene wali

Sajal Ehsaas said...

thanks friends...

Vandana Singh said...

wah bahut sunder ...kya bahana hai ..

ashish said...

ab aapki tarif kya karun...apka tarif-e andaz toh nayab hai
aapki rachna lajawab hai..