इसे एक कविता के रूप मे देखे,इसे गज़ल ना कहा जाये,क्योंकि उस हिसाब से पूरा काफ़िया ही गलत हो जायेगा और ये गज़ल विधा का अपमान ही होगा(वैसे भी बहर मे मैं लिखता नही)। तो बताये कैसी लगी मेरी ये "कविता" :)
काश मेरा पहला प्यार होता आखिरी भी,
ज़िंदगी आसमां तक पहुँची तो गिरी भी।
कभी तो मेरे हर शब्द पे दाद थी तुम्हारी,
अब पसंद नही आती मेरी एक शायरी भी।
औरों के सवालों का जवाब मुमकिन है पर,
आज तो खुद सवालिया है ज़िंदगी मेरी भी।
मैं बस अपने अकेलेपन का साथ दे रहा हूँ,
और मेरे साथ चल रही है चंद यादें तेरी भी।
पहले तो कविता मेरी,कुछ दर्द बाँट लेती थी,
काम नही देती अब ये शब्दों की जादूगरी भी।
17 comments:
पहले तो कविता मेरी,कुछ दर्द बाँट लेती थी
काम नही देती अब ये शब्दों की जादूगरी भी
अच्छा लिखा है आपने और आपमें काफ़ी संभावनाएं हैं ये स्पष्ट दिखता है। लिखते रहें, भाव हों तो काफ़िया रदीफ़ बहर देर सबेर आ ही जाएंगे।
पहले तो कविता मेरी,कुछ दर्द बाँट लेती थी,
काम नही देती अब ये शब्दों की जादूगरी भी।
bahut umda likh rahe ho sajal, badhai.
बहुत सुन्दर...बेहतरीन अभिव्यक्ति!!
kavita behad khoobsoorat hai...pyaare aur saade se alfaaz hai, pahle pyaar ki masoomiyat ki tarah.
hauslaa badhane ke liye aap sab ka shukriya...Ravikant ji,main bhi yehi ummeed kar raha hoon bas :)
ज़िन्दगी के अनुभव दर्शाती हुई रचना
dard ko darshati kavita.
लिखते रहिये आपमें अच्छा लिखने की अपार संभावनाएं हैं...ये प्रयास भी बहुत अच्छा है...
नीरज
बहुत सुंदर कविता,
thanks friends...
Neeraj Sir,bas koshish jaari hai :)
पहले तो कविता मेरी,कुछ दर्द बाँट लेती थी,
काम नही देती अब ये शब्दों की जादूगरी भी।
वाह सुन्दर है.
मै एसे कह्ता हूं:
"लिखता नही हूं शेर मैं अब ख्याल से,
किसको है वास्ता यहां अब मेरे हाल से."
औरों के सवालों का जवाब मुमकिन है पर,
आज तो खुद सवालिया है ज़िंदगी मेरी भी।
khoobsoorat panktiyan......aapke blog par aaker achcha laga....kisi din fursat mein jayada time doongi .....sabkuch padne ke liye
Thanks friends...
Leo Sir aapki ye baatein dil jeet leti hai hamesha :)
Priya Ji..such a compliment coming from someone like u is flattering indeed :)
पहले तो कविता मेरी,कुछ दर्द बाँट लेती थी,
काम नही देती अब ये शब्दों की जादूगरी भी।
बहुत खूब......!!
आप एक दिन भर में भी लिखने लगेगे हमें उम्मीद है .....!!
औरों के सवालों का जवाब मुमकिन है पर,
आज तो खुद सवालिया है ज़िंदगी मेरी भी।
बहुत खूब। किसी ने कहा है कि-
समझ सको तो समझ जिन्दगी की उलझन को।
सवाल उतने नहीं हैं जबाव हैं जितने।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
"मैं बस अपने अकेलेपन का साथ दे रहा हूँ,
और मेरे साथ चल रही है चंद यादें तेरी भी। "
sunder panktiyaan....
काम नही देती अब ये शब्दों की जादूगरी भी।
....sach hai..shabd bhi ek hadd tak hi sath de sakte hain..bahut acha likhte hain aap..keep it up..!
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