Sunday, June 7, 2009

मुकम्मल दर्द

मेरी इस कविता की प्रेरणा हिंदी बलौगिंग की जाने-मानी हस्ती हरकिरत जी है,मेरी ये मामूली सी कोशिश उनके दर्द भरे उत्कृष्ट नगमों के सामने कुछ नही,पर मैं अपनी ये कविता उनको समर्पित करना चाहूँगा। मेरा एक छोटा सा सलाम इस बड़ी सी हस्ती को :)



कल दर्द को पिघलते देखा,
तकलीफ़ की आग मे जलते देखा,
सोचा पिघलके बह जायेगा ये,
जैसे बाकी सब बह जाते है,
मालूम हुआ कुछ ऐसे एहसास है,
जो सीने मे कैद रह जाते है। 

कल दर्द से बातें की,
बातें क्या,बस शिकायतें की,
दर्द सुनाने लगा अपनी दास्तां,
लगा,बोलके चुप हो जायेगा ये,
जैसे बाकी सब खामोश हो जाते है,
पर लगता है कुछ आवाज़ें मरती नही,
लफ़्ज़ भले खो जाते है। 

कल दर्द पे कविता लिख डाली,
सारी भड़ास कागज़ पे निकाली,
सोचा ज़रा मन हल्का हो जायेगा,
जैसा हर बार हो जाता है,
पर अफ़सोस दर्द का बोझ उतरा नही,
अधूरे से जज़्बात मिटने लगते है जब,
तब मुकम्मल दर्द तैयार हो जाता है।




22 comments:

गर्दूं-गाफिल said...

कुछ आवाज़ें मरती नही,
लफ़्ज़ भले खो जाते है।
कुछ ऐसे एहसास है,
जो सीने मे कैद रह जाते है।
प्रिय सजल
यहाँ तक तो मामला बहुत अच्छा है किन्तु तीसरे बंध में गंभीरता समझ नहीं आती
जब आप किसी को कुछ समर्पित कर रहे हैं तो उसकी गुणवत्ता का ध्यान रखना ,जिसे समर्पित कर रहे है उसकी गुण ग्राहकता का ध्यान रखना समर्पण कर्ता का दाइत्व है हरकीरत जी एक श्रेष्ठ स्थान पर है इसमें उनकी गंभीरता का बडा योगदान है इस बात का अनुशरण करे 1
आपकी मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी आपकी गंभीर मननशीलता को दर्शाती है . आरम्भिक दोनों बंध ऊँची सम्भावनाओं का संकेत करते है इसमें कोई अवरोध न आये यही सुभकामना है . यदि मेरी टिप्पणी अनुचित लगी हो तो कृपया इसे प्रकाशित न करें

गर्दूं-गाफिल said...

प्रिय सजल
ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद
आरम्भिक दोनों बंध बहुत अच्छे हैं
लिखते रहिये
शुभकामनाओं का सारा आकाश तुम्हे समर्पित

Urmi said...

आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहुत बढ़िया कविता लिखा है आपने! लिखते रहिये!

M VERMA said...

कुछ ऐसे एहसास है,
जो सीने मे कैद रह जाते है।
यही एह्सास तो है जो कविता लिखवाते है.
अच्छी रचना

Yogesh Verma Swapn said...

कल दर्द पे कविता लिख डाली,
सारी भड़ास कागज़ पे निकाली,
सोचा ज़रा मन हल्का हो जायेगा,
जैसा हर बार हो जाता है,
पर अफ़सोस दर्द का बोझ उतरा नही,
अधूरे से जज़्बात मिटने लगते है जब,
तब मुकम्मल दर्द तैयार हो जाता है।


bhavnaon ki sunder abhivyakti.

Sajal Ehsaas said...

@ Gurdu-Gaafil Ji... shukriya is amuly tippani ke liye,main aapki baat ko dhyaan me rakhoonga...jo aapne thodi si shikayat rakhi hai uspe yehi keh sakta hoon ki ye baat main bhi samajhta hoon ki meri rachna Harkirat Ji ki rachnao ki tulna me dhool baraabar bhi nahi...haan ek imaandaar koshish thi,aur choonki is vidha me unki kavitaaon se main bahut prabhaavit hoon isliye unko dedicate kiyaa maine...

ye baat zaahir hai ki meri koshish ek mamooli si koshish hai unke achievments ke saamne...agar ye ek bhool hai to main apni bhool sweekartaa hoon... :)

ek baar fir shukriya aapka....umeed hai aapka saath aise hi milta rahega

Sajal Ehsaas said...

baaki jin dosto ne meri koshish ki saraahna ki un sab ka bhi aabhaar :)

हरकीरत ' हीर' said...

कल दर्द से बातें की,

बातें क्या,बस शिकायतें की,

दर्द सुनाने लगा अपनी दास्तां,

लगा,बोलके चुप हो जायेगा ये,

जैसे बाकी सब खामोश हो जाते है,

पर लगता है कुछ आवाज़ें मरती नही,

लफ़्ज़ भले खो जाते है।

लाजवाब.....!!

ऊपर के दो बन्ध सच मुच बेहतरीन हैं ....पर नज़्म जब कागच पे उतरती है तो दर्द कम हो जाता है बढ़ता नहीं.....मैं अगर लिखती नहीं तो ज़िन्दगी बोझ बन जाती ....!!

गाफिल जी और आपसे गुन्जरिश है कि मुझ धरती पर ही रहने दें ....!!

हरकीरत ' हीर' said...

एक बार फिर आपके स्नेह को नमन ....!!

अभी अपने ब्लॉग पे अरविन्द जी कि टिप्पणी पढ़ी ..." पर क्या कभी आपने यह सोचा है /अथवा कवि को यह सोचना भी चाहिए अथवा नहीं कि उसकी रचनाएं समाज को क्या दे रही हैं ? "

मैं आपसे पूछती हूँ आपको मेरी नज्में क्यों अच्छी लगती हैं....??

Sajal Ehsaas said...

Harkirat mam...

teesre bandh ke baare me yehi kehna chahoonga ki mera maksad yehi darshaana tha ki dard ek aisa ehsaas hai jisse chhutkaara nahi mil paata,isliye ek mukammal ehsaas hai..baatein karke,uspe kavita likh kar,hume lagta hai ki isse nijaat paa sakte hai par aisa hotaa nahi,is soch ko maine darshaaya...aap thoda pessimistic keh sakti hai is kavita me meri soch ko...lekin is vishay me mere vichaar kuch aise hi they...

baaki aapko aasma me bithaane jaisi koi baat nahi hai,main (aur usi tarah kai aur log) aapke lekhan ka aur aapka bahut samman karte hai,isi ko darshaane ke liye maine ye koshish ki thi...mujhe ummeed hai aap samjhengi...

jahaan tak ye savaal hai ki aapki rachnaaye samaaj ko kyaa de rahi hai...maine dekha ki aapne iske javaab me apni baat sahi dhang se rakh di to iske aage main kya bol sakta hoon...agar aap mujhse pooche ki mujhe aapki kavitaao me kya achha lagtaa hai,to iska javaab bahut lamba ho saktaa hai...shayad ek post iske liye hi likh doon kabhi...abhi bas itna kahoonga...likhte rahiyega hamesha... :)

Girish Kumar Billore said...

कल दर्द पे कविता लिख डाली,
सारी भड़ास कागज़ पे निकाली,
सोचा ज़रा मन हल्का हो जायेगा,
जैसा हर बार हो जाता है,
पर अफ़सोस दर्द का बोझ उतरा नही,
अधूरे से जज़्बात मिटने लगते है जब,
तब मुकम्मल दर्द तैयार हो जाता है।
aanandit kar diyaa
shukriyaa

admin said...

दर्द के ताप को बखूबी बयां करती है आपकी कविता।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

सजल जी,
खूबसूरती से बयां की है, दर्द की गुफ़्तगू आप ने,मेरे ब्लॊग पर आने और प्रशन्सा के लिये शुक्रिया."सच में" पर आते रहें.

डिम्पल मल्होत्रा said...

dard baha to kaha jayega yahi kahi aas pass fail jayega or fir din raat tadpayega....

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

सजल जी,
पानी वो भी प्यासा क्या बात है, मैं कहता हूं,

’बहता रहता हूं जज्बातों की रवानी लेकर,
दर्द की धूप से बादल में बदल जाउंगा.’
पूरी बात के लिये नीचे दिये लिन्क पर आयें.
http://sachmein.blogspot.com/2009/03/part-ii.html

Sajal Ehsaas said...

shukriya dosto...

!!अक्षय-मन!! said...

दर्द की सुन्दर बानगी पिरोई है आपने अपने शब्दों मैं क्या कहीं बहुत ही अद्भुत उम्दा,.........
कविता है...
आगे क लिए शुभकामनाये.........

Dr. Tripat Mehta said...

kya baat hai...dard ko badi ho asaani se paribhasha de daali aapne...

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

lage rahiye......

vandana gupta said...

sajal ji
dard ka rishta aisa hi hota hai jab bhi lage ghatne laga utaani hi shiddat se phir badh jata hai.

bhai mujhe to teenon hi bandh lajwaab lage ......dard ko vyakt karna itna aasan nhi hota aur na hi itne shabd jo use vyakt kar sakein.

dard sirf dard hota hai
kabhi ghatta hai kabhi badhta hai
magar kabhi mar kar bhi nhi marta hai
ye to wo ahsaas hota hai
jo zindagi ke sath hota hai

Diptesh Mallick said...

Hi!
This is going to be one of yours priceless comment (your much seeked after...):-

"Mukkamal mast..."
likhtey raho bhidu...

aaur kuch hamey bhi sikha do yaar...

प्रिया said...

wah! harkeerat ji aur unki lekhni ke prati aapki bahvpurna rachna sachchi aur achchi lagi.... likhte rahiye